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All India Institute of Electrohomeopathy Medical Science world Education Research Patna Bihar 9431461398 9472058415

Electro Homeopathy: Course, Career & Job placement Prospects 

@electrohomeopathyclass

 

D.E.H: Course Highlights

Full-Form Diploma in Electro Homeopathy

Duration of the Program 2 year

Examination Type Year-based

Admission Process Done on the basis of 10 or 10+2 bio board examinations with science.

Average Fee Structure Up to ₹ 110000 Lakh

Let me recommend you this application

 

https://play.google.com/store/apps/details?id=co.electrohomeopathy

 

For applying for the Diploma in Electro Homeopathy Medicine (D.E.H.M) the aspirants should have completed the Class 10 examination or its equivalent. This course is recognized by wer Electro Homeopathy council of India

 

How do I become an electro homeopathic doctor?

 

Admission into a diploma course in Electro Homeopathy Medicine (D.E.H.M) requires the candidate to have passed class 10 or its equivalent. ... These courses are all recognised by wer electro homeopathy medical  Council (W.E.R.E.H.M.C) 6 months training Staff ship. Pass Marks: 40% in each individual examination.

 

BEMS course

बीईएमएस कोर्स 

एक स्नातक डिग्री कोर्स है, जो कुल 4.5 वर्ष के अवधि का होता है. इस कोर्स में इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा विज्ञान के माध्यम से दवाओं का निर्माण सिखाया जाता है. साथ ही इस प्रणाली में केवल पेड़ के पौधे के अर्क का उपयोग करके दवाएं तैयार की जाती हैं. यह कोर्स केवल प्राकृतिक तरीकों से इलाज करना सिखाता है.

BEMS एडवांस कोर्स की अवधि 5 वर्ष 6 माह की होती है जिसमे 4 course जुड़े हैं 

एलोपैथी प्राथमिक चिकित्सा

सीएमएस ईडी

मॉडर्न पैथी

पेटेंट medicine

 

इसकी संचालन सिर्फ वर्ल्ड एजुकेशन रिसर्च सेंटर पटना से किया जाता है 

Independent Alternative council cms&ed allopathy.

The World education Medical Science & Research Bihar India

CMS, ED ALLOPATHIC,AAYURVED, HOMEOPATHIC MEDICINE, CORSE,

 Email us : [email protected]

 Call : 9431461398

एक पद्धति से दूसरे पद्धति की दवा प्रैक्टिस करने के लिए CMS,ED करना अति अनिवार्य है।

 Apply CMS&ED Online Admission werbharat.com

Menu

CMS & ED

Course Information

 CMS & ED Course Information

 कम्युनिटी मेडिकल सर्विस एण्ड एशेन्शियल ड्रग्स 24 माह नियमित व पत्राचार पाठ्यक्रम

यह कोर्स WER द्वारा संचालित 24 माह पाठ्यक्रम है जिसमें विश्वस्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा प्राथमिक चिकित्सा के लिए शासन से मान्यता प्राप्त एलोपैथिक की लगभग99 जनरल मेडिसिन का अध्ययन क्वालीफाईड डाॅक्टरो के द्वारा कराया जाता है । इसमें आप माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को आधार बनाकर प्राइमरी हैल्थ वर्कर के रूप में चिकित्सा कार्य कर समाज की सेवा कर सकते है । प्राथमिक चिकित्सा कार्य करने हेतु अभी तक न तो राज्य शासन से कोई रोक टोक है और ना ही केन्द्रीय शासन से ।

आप शासन मान्य एम.बी.बी.एस. (M.B.B.S) डाॅक्टरो की तरह इस डिप्लोमा से कार्य नहीं कर सकते है । इस तरह का कोर्स किसी भी सरकार द्वारा नहीं चलाया जाता है । क्योंकि न्यायालय ने अपने एक निर्णय में कहा है कि वो चिकित्सक जिस चिकित्सा पद्धिति में प्रशिक्षित है वह उसी चिकित्सा पद्धति से चिकित्सा कार्य करें । और यदि वह चिकित्सक दूसरी चिकित्सा पद्धति से कार्य करते है तो वे झोलाछाप चिकित्सक माने जायेंगे ।

यदि आप अपमानित होने से बचना चाहते है। । शासन द्वारा दंड नही प्राप्त करना चाहते है तो आप C.M.S. & E.D. का कोर्स कर लेवें । क्योंकि अब इतना समय बीत जाने के पश्चात शासन से मान्यता प्राप्त कोई भी एलोपैथिक मेडिसिन का कोर्स कर लेवें । क्योंकि अब इतना समय बीता जाने के पश्चात शासन से मान्यता प्राप्त कोई भी एलोपैथिक मेडिसिन का कोर्स नही कर सकते है, और न ही आप P.M.T. की परीक्षा पास कर एम.बी.बी.एस. कोर्स कर सकते है ।

यदि एलोपैथिक मेडिसिन से प्रेक्टिस करना है तो आपके पास कुछ न कुछ आधार तो चाहिए ही । शासन का न सही तो शासन से मान्यता प्राप्त संस्था का ही सही । अब आपके लिए बचाव का यही एक आखरी रास्ता बन सकता है क्या सही है क्या सही रहेगा आप स्वयं विचार कर लेंवे । एक सुनहरा व अंतिम मौका आपको प्राप्त हो रहा है । इसे अपने हाथ से ना जाने दे अन्यथा आपको बाद में पछताना होगा । यदि आपको हमारी बाते पसंद आए तो हम आपके सदा सहयोगी रहेंगे ।

संचालक
डॉ मिथिलेश चौबे

 आवश्यक जानकारी

 आपको यह जानकारी दी जाती है कि एलोपैथिक मेडिकल से उपचार करने का अधिकार केवल एलोपैथिक एम.बी.बी.एस. डाॅक्टरो को है ना कि आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी मेडिसिन, नेचरो पैथिक, बायो केमिक, इलेक्टो होम्योपैथिक, अल्टरनेट मेडिसिन के डाॅक्टरो को नही है, यदि वे ऐसा करते है तो कानूनी अपराध है ऐसे डाॅक्टर दण्ड के भागीदार होते है ऐसे डाॅक्टरो को कानून द्वारा सजा दी जा सकती है ।

2. CMS & ED 2वर्षीय पाठयक्रम का कोर्स करने के पश्चात भारत के किसी भी प्राथमिक ग्रामीण क्षेत्र में बिना किसी से डरे साधारण एलोपैथिक मेडिसिन से उपचार कर सकते है तथा रूलर इलाके मे सरकार द्वारा कोई वेकेन्सी निकलने पर शासकीय नौकरी के लिए आवेदन दे सकते है इसकी पात्रता हमें माननीय सुप्रीम कोर्ट ने प्रदान की है ।

3. जब कोई भी शासकीय स्वास्थ्य अधिकारी (BMO/CMO) आपके क्लीनिक में आये तो आप उनसे शिष्टता पूर्वक बात करें हमारे संस्थान द्वारा दिया गया CMS & ED का सर्टिफिकेट डब्ल्यू एच ओ द्वारा प्रदान की गई मेडिसिन की लिस्ट, एम.सी.आई. के आदेश की फोटो काॅपी उस अधिकारी को एक फाईल बनाकर आाप दे देवे आप उनसे बिल्कुल भी न घबराये तथा उनसे गलत व्यवहार भी न करें ।

4. अधिकारी यदि आपको डाटता या फटकारता है एवं CMS & ED के कोर्स को फर्जी कहता है तो आप उन से बिल्कुल भी ना घबराये । आप उस अधिकारी से अवश्य ही कहे कि सर मेरा सर्टिफिकेट फजी है तो कृपया आप मुझे लिखकर दे देवे ताकि हम WER के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सके हम आपको 100 प्रतिशत गारंटी के साथ लिखकर देते है कि कोर्स को कर लेने के बाद जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार की तकलीफो का सामना नही करना पडेगा । यदि आप इस कोर्स को कर लेते है तो आप भारत के प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्र में साधारण एलोपैथिक मेडिसिन से प्राथमिक उपचार कर सकते है ।

5. यह कोर्स न राज्य सरकार चलाती है न केन्द्र सरकार यह कोर्स WER द्वारा चलाया जाता है तथा इस डिप्लोमा के आधार पर प्राथमिक उपचार करने का अधिकार माननीय सुप्रीम कोर्ट ने प्रदान किया है मेडिकल काउन्सील आॅफ इण्डिया न्यू दिल्ली भी इस कोर्स का संचालन नही करती अतः इन्हे भी इस कोर्स को चलाने में कोई एतराज नही है इनके द्वारा प्रदत्त ड्रग्स के नाम पर घोषित है अतः ऐलोपैथिक से प्राथमिक उपचार करने का यह ऐन्थेटिक डिप्लोमा है ।

6. यदि आपको CMS & ED का कोर्स बोगस या फर्जी लगता है तो कृपया करके आप MBBS एलोपैथिक का कार्स कर ले माननीय सुप्रीम कोर्ट की शक्ति केन्द्र सरकार/राज्य सरकार/समस्त शासकीय/अषासकीय अधिकारी/गृहमंत्री/स्वास्थमंत्री/मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री स्टेट मेडिकल काउन्सील/सेन्टल मेडिकल काउन्सील/हाई कोर्ट आदि से बड़ी होती है ।

8. अतः न्यायालय के आदेश की अवहेलना कोई भी जांच अधिकारी नही करना चाहेगा क्योंकि उसे भी डर होता है कि कहीं हमारे विरूद्ध न्यायालय की अवमानना का केस न लगा दिया जाये नही तो हमें बेमतलब ही कोर्ट के चक्कर लगाने पडेंगे अतः कोई भी बुद्धिमानी अधिकारी कोर्ट में केस नही लड़ना चाहेगा वह आपके डाक्यूमेन्ट की कापी सरकार के पास भेज देगा और आपके प्राथमिक उपचार केन्द्र में बाधा नही डालेगा यह 100 प्रतिशत सत्य है ।

9. वैसे तो मेडिकल का प्रत्येक पाठ्यक्रम नियमित होता है लेकिन 5 वर्ष का अनुभव प्राप्त चिकित्सा इन कोर्सो को पत्राचार पाठ्यक्रम के द्वारा कर सकते है क्योंकि इन चिकित्सको को कोई अतिरिक्त अनुभव की जरूरत नही है । समय लगाकर youtub पर चल रहा प्रशिक्षण देखें समझें

संचालक

द वर्ल्ड एजुकेशन रिसर्च 

 प्रस्तावना

विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा के अनुसार सभी के लिऐ अच्छे स्वास्थ की कामना ‘‘Health For All’’ इसे अलम आटा की घोषणा 1978 कहा गया है । विश्व स्वास्थ्य संघटना (WHO) के अनुसार स्वास्थ्य कर्मियों, सभी वैकल्पिक पद्धति के चिकित्सको को प्रशिक्षिक करने के लिए C.M.S. कोर्स का प्रावधान किया गया है। जिसके अंतर्गत अभ्यार्थी को 18 माह का आवश्यक औषधि प्रशिक्षण प्राप्त करने का प्रावधान है । आवश्यक औषधि पाठ्यक्रम पूरा होने पर परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यार्थी विश्व संगठन द्वारा अनुमोदित 99एलोपैथिक औषधियों को दे सकते है ।

 निर्देश:-

1. योग्यता हाईस्कूल/पंजीकृत चिकित्सक/स्वास्थ्य कर्मी/अन रजिस्टर्ड चिकित्सक एवं अन्य वैकल्पिक कर्मी को वरियता ।

2. जिन चिकित्सको के पास वैध प्रमाणपत्र (BEMS,DEHM,BAMS(AM)BHMS. अथवा गैर मान्यताप्राप्त पद्धतियो की योग्यता है उनके लिए यह कोर्स मात्र 24 माह का ही है ।

3. C.M.S. Training के दौरान अलोपैथिक (E.D.P.-31) में प्रशिक्षण दिया जायेगा । C.M.S. + EDP कोर्स के पश्चात् अभ्यार्थी W.H.O. द्वारा निर्धारित अलोपैथिक दवाओं से चिकित्सा jo करने के लिए अधिकृत होगा ।

4. आयु सीमा को काई बंधन नही है ।

5. C.M.S. कोर्स रेगुलर व पत्राचार द्वारा भी किया जा सकता है । ONLINE EDUCATION AND EXAM FASLITY

6. प्रवेश साक्षात्कार व मेरिट लिस्ट के अनुसार होगा ।

7. C.M.S.ED कोर्स WER द्वारा संचालित है  WHO इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत इस कोर्स को मान्यता दे चुकी है । WER इसी पाठ्यक्रम के अंतर्गत इस कोर्स का प्रारंभ स्वयं कर रही है ।

 नोट :-

आज प्रसार मिडिया (टी.वी. रेडियो इत्यादि्) भी महत्वपूर्ण औषधियो जैसे: Crocine, Disprin, Penjon, Moov, Amrutanjan ashoka, hempushpa pancharist pancharist etc. का प्रयोग करने संबंधी विज्ञापन भी देते रहती है जिससे की उनका प्रयोग आम जनता भी First Aid के रूप में कर सके । CMS कोर्स First Aid का ही एक अभिन्य रूप है । जिसमे 42 EDP Drugs का प्रयोग किया है ।

CMS & ED सम्पूर्ण भारत की ग्रामीण जनता की सेवा हेतु कार्यरत है । आज भी ग्रामीण क्षेत्रो मे चिकित्सा का अभाव रहता है ग्रामीण भाई बहन औषधियों के अभाव के कारण मृत्यु के कगार पर जले जाते है । विश्व स्वास्थ्य संघटना (WHO) और युनिसेफ (UNISEF) की हमेशा से यही सोच रही है कि किसे और किस तरह से भारत की पूर्ण आबादी को स्वस्थ रखा जाये । CMS & ED 24माह के कोर्स के द्वारा जो चिकित्सक इलेक्टोहोम्यिोपैथी/अल्टरनेटिव मेडिसिन एवं अन्य पंजीकृत वैकल्पिक चिकित्सक है उन्हे शिक्षित करके एलोपैथी औषधियों में ज्ञान प्राप्त कराकर उन्हे ग्रामीण क्षेत्र में सेवा करने का अवसर दिया जायेगा ।

संचालक
द वर्ल्ड एजुकेशन रिसर्च 
Bihar(An Autonomous Organization, Regd. Under Central Act, Govt. of India) 
                      Approved By : Central Board under the rule of WER, Bihar 
University Vide their Resolution No. 35/55/5/XII/80 Alternative Medicines Research Foundation is a Premier and leading educational organization registered under charitable of 1882 for the Promotion, Development & Research of Alternative System of Medicines. It is established in the year 2014 and is authorized to run various courses in alternative medicines. It has wide network to promote this Medical System throughout India. Registration No. of the organization is 1916/2014 & PAN No. is AACTT3741P. Patna Bihar. 

The World education Medical Science Research Center offers a high standard of academic programmes through correspondence (Distance Learning) in various alternative therapies leading to the award of Diploma, Bachelor and Post Graduate Certificates. 

The propagation and practice of the various systems of alternative medicine is absolutely legal and in accordance with the constitution of India under Article 19(1)/(g). 

Permission / Registration from Medical Council of India (MCI) is not required to practice the Alternative Systems of Medicines as per their Letter No. MCI - 34(1)/96-Med/10984. 

The practitioner who shall be enrolled in the register of the Organization is declared as a qualified person to practice in Alternative Systems of Medicines as Provided by the rules and regulations of the Alternative Medicines Research Foundation and shall not be convicted or punished by any Government in India. 

The World Education Research For Self-Employment, India has developed a system of unique Curriculum for the trainees of various Health Education ,School Education & Industry courses for developing techniques and skills through self-study and field-visits based on the Curriculum of Department of Pre-School and Elementary Education, National Council of Educational Research and Training, Patna Bihar ; The World Education Research for self – employment has served as a lateral aid to the medical science, in terms of diagnosis and treatment of disease. The primary role is to provide advanced pre- hospital medical care to the patient. A paramedic can be defined as a person who works in the health care field in an auxiliary capacity to a physician. they are specially trained medical technician certified to provide a wide range of emergency medical services with the advent of technological development of medical sciences, serval invasive and non-invasive tools were designed that reported a sudden up surge of trained paramedical man power for the operation of these technical invention in medical sciences, every month they play a crucial role in delivering health care, their contribution went un noticed in the terms of setting up a separate self employment/governing body with specified guide lines/regulation to maintain a uniform high quality standard of training and education of paramedic all over the nation and register qualified personal for the free practices of the profession. In a developing country as India, the rural section is still left unattendent in terms of quality health care systems, due to the acute shortage of skilled health care personnel. This dearth of paramedic has to be compensated with increased world class training and education in paramedical science to the youth for catering a quality health care service to this needy section of the society and The World Education Medical Science Open University For Self -Employment, India managed by a group of enthusiastic young educational reformers consisting of experienced, competent, Educationists, Professionals, Technocrats, Industrialists and Businessmen of repute with the aim to make education more meaningful and useful by co-relating the education with job, vocation or employment which means complete Vocationalization of Education in such a way that it can be made more related to life by developing resources and versatility and multidimensional talents, skills, attitude, aptitude through vocational education to develop Self and Entrepreneurship to manage various ventures. 

Courses offer

1. Health education

 

प्रमुख समाचार (सौजन्य से एन० डी ० टी०वी इण्डिया ) दिनांक 25फ़रवरी 2016 को केंद्रीय सूचना आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार को निर्देशित किया है कि मेडिकल कौंसिल ऑफ इण्डिया ( MCI ) के माध्यम से इण्डियन बोर्ड आफ अल्टरनेटिव मेडीसीन (कोलकता ) नामक संस्था , जो कानूनी वैधता न होने के बावजूद व अन्य अल्टरनेटिव संस्थायेMBBS की डिग्री अनक्वाली फाइड  डॉक्टर्स को दे रही है। जिससे जनस्वास्थ्य को काफी खतरा है। इसे तत्काल प्रभाव से रोकने की कार्यवाही की जाये। 

 नोट – 1- सभी अल्टरनेटिव संस्थानो को सूचित किया जाता है कि वह इस प्रकार के प्रशिक्षण प्रमाण पत्र निर्गत न करे और जिन चिकित्सको ने ऐसे प्रमाण पत्र प्राप्त किये है वह तुरंत उन्हें हटाकर नेचुरो पैथी इलेक्ट्रो होमियोपैथी, स्वतंत्र वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति  (प्राकृतिक चिकित्सा में ) प्रशिक्षण प्राप्त करे और समाज की सेवा कर सम्मानित जीवन जिये।  

 2- हमारी संस्था द्धारा पैरा मेडिकल कोर्सेज जैसे DMLT /ANMतथा ALTERNATIVE MEDICINE सिस्टम से ही कराए जाते है  MBBS-(Alt) , MBBS-(Bio) डेसिग्नेशन के डिप्लोमा पाठयक्रमो का संचालन पिछले  वर्ष 2016 से बंद है जिनको यह सर्टिफिकेट निरगीत किया गया है उन्हें भी cms, ed की कोर्स कराकर उन्हे आस्वस्त करदिया गया है।पूर्ण रूपसे 2016 के बाद किसी भी तरह से MBBS ALT कि  सर्टिफिकेट इसु नही की गई है।

 

Advance Diploma-Three Years/ Third Year, Master Diploma –Four Years/ Forth Year Entrepreneurship Health Care/Trade Diploma in all Para-Medical Courses. Trade Diploma in Medical Nursing Assistant/ Attendant / Patient Care (Nursing)/ Diploma in Self-Management / Diploma in Stress Management & Remedies./Trade Diploma/Degree in Alternative Medicine/ Trade Diploma in CMS,ED,CMS(Allopathy) CMS(Homeopathy) CMS(AY) Arcade Diploma in Auxillaray in Nursing Midwitery.

  • A.para medical
  • B.Diploma in Self-Management
  • C.Patient Care (Nursing)
  • D.Trade Diploma in CMS,ED,CMS(Allopathy) CMS(Homeopathy) CMS(AY)
  • E.Entrepreneurship Health Care
  • F.Diploma in Stress Management
  • G.Trade Diploma in Medical Nursing Assistant

2. School education

a) In the field of Human Resource Development :- To establish, develop, maintain technical and non-technical institutions, schools, colleges, libraries, universities, laboratories, hostel for boys and gills, skill development centers, competition, preparation centers, yoga and spiritual centers, sports training centers vocational training centers, research and other institutions for the development and advancement of education and diffusion of knowledge among the public in general.
b) To establish, maintain and run studentship, scholarship and award programme and render other kind of aid to students including supply of study materials, books, stipend, medals and other incentives.

c) To organize programme for the promotions of pre-primary education, non-formal education, computer & information technologies, leadership development, techno entrepreneurship development educational, infrastructure research and development, socio-scientific research, management.

d) Publish study-materials, magazine, books, information materials, and journals : produce film, T.V. serials, documentaries, and audio-video cassettes on burning social, educational and scientific issue.

[A] To undertake, origanize, investigate, participate, and sponsor, the welfare activity for the development and uplift men of the socio economic backward classes, irrelevant of cast, creed and gender.

[B]To set motion and play a proactive role in giving direction for a quiet social movement/revolution for socio-technical, financial, ethical prosperity and take spearheaded initiative to spread the gain or prosperity in the benefit of throughout masses of world of living creature.

[C] To organize, promote, undertake, sponsor, carry-out, all programmes for the benefit of naturally-challenged person, schedule caste, schedule tribes, people under poverty line, old-aged, widow, orphan child. Divorced women, physically and mentally handicapped and down trodden irrespective of caste creed, sex and religion such as.

 

3. Industry education

                            the filed of Agriculture and allied Industries Development

a) To conduct and undertake the research of technologies advancement, productivity enhancement, cost effectiveness technologies    and methodologies in the field of agriculture, allied industries, cottage industries, veterinary and co-operatives.

b) To conduct awareness and exposition programme of appropriate and low cost technologies agriculture.

c) Conduct the programmes to ensure nutrition security, safe food processing and standardization.

d) To conduct intensive research in the filed of fisheries, aquaculture, poultry, dairying, livestock, sheep & goat, horticulture, floriculture, aromatic & medicinal plants, fruits, hybrid vegetables, mushroom etc. and land the benefit of research.

e) To carryout study, research and development, activates for water management, irrigation, fertilizer, farm mechanism, and biotechnology, integrated pest management method.

f) To make the market-mechanism most favorable to the farmers. To develop the infrastructure for the easy and safe delivery of agro products. Also establish and run financial Institution for the benefit of agriculture and allied industries-related people.

g) To form and patronize self help group (S.H.G.) for the promotion of micro-credit and optimum financial benefit to the rural people.
 

4. Teacher Training


                            I welcome you to this ins tute which is renown for its sensa onal job in the field of educa on with its wonderful result for the last more then three decades. The ins tute has been offering demanding educa on in various fields in front line areas basic and applied nature having vast poten al for employment.

 

 

 

CMS & ED DIPLOMA

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CMS & ED Diploma is known as Community Medical Services & Essential Drugs. It is a certificate for primary health care by general Allopathic medicines, which are recommended by the World Health Organisation (WHO) for primary health care. The Hon. Supreme court has given an order that CMS-ED Diploma holder can run medical practices for Primary Health Care

Qualification: 10+2 Secondary/ Senior Secondary or Equivalent qualification

Medium of Course: English Hindi

Sr.No. Papers
1 General Anatomy & Physiology
2 first Aid
3 Pathology
4 Elementary Pharmacology
5 Essential Drug for Primary Health
6 Common Medical Aliment &Their Treatment
7
8

Primary Health Care
Management of Diseases

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

 वैकल्पिक चिकित्सा चिकित्सकों के लिए कोई उत्पीड़न नहीं, भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय
 भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की नवीनतम सामग्री एसएलपी (सिविल) संख्या ११२६२/२४/११/२००० (निर्णय और आदेश दिनांक १८/११/१९९८ में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न संख्या २०५/९२ में)
 कुछ स्पष्टीकरण आदि के अभाव में दिल्ली सरकार।  और भारत संघ (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय) ने माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के दिनांक १८/११/१९९८ के आदेश को १२/११/१२ को सुनवाई के दौरान चुनौती देते हुए भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय में एक अपील (एसएलपी) भरी है।  2000.  माननीय न्यायमूर्ति आर.सी.  लाहोटी और माननीय न्यायमूर्ति शिवराज वी. पाटिल ने दिल्ली सरकार की याचिका खारिज कर दी है।  और भारत संघ और अंत में 24/11/2000 को माननीय न्यायालय की खंडपीठ जिसमें न्यायमूर्ति राजेंद्र बाबू और बी.एन.  अग्रवाल ने मामले पर विचार करने का निर्देश दिया है और याचिकाकर्ता (दिल्ली सरकार और भारत संघ) द्वारा भरी गई एसएलपी को खारिज कर दिया गया है।  भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय (FAO205/92) दिनांक 18/11/1998 की यथास्थिति को बनाए रखा जिसके द्वारा यह आदेश दिया गया है कि वैकल्पिक के क्षेत्र में शिक्षा सुविधाएं प्रदान करने वाली कोई भी कानूनी रूप से गठित संस्था  दवाएं डिप्लोमा / प्रमाण पत्र जारी कर सकती हैं और ऐसे डिप्लोमा / प्रमाण पत्र के धारक उक्त डिप्लोमा / प्रमाण पत्र द्वारा कवर किए गए विशेष संकायों का अभ्यास करने के हकदार हैं।
 1. उच्च न्यायालय चेन्नई के निर्णय के अनुसार, योजना आयोग की रिपोर्ट और सरकार के उत्तरार्द्ध।  (No.110/8/4/77MPT/ME(P)1979&No.4-6/70 MPT भारत सरकार) RMP सर्टिफिकेट धारक वैकल्पिक चिकित्सा में अभ्यास कर सकता है केवल वह सर्जरी, प्रसूति और विकिरण में अभ्यास नहीं कर सकता  किसी भी रूप में चिकित्सा।  वह किसी भी कीमत पर दवाओं और सौंदर्य प्रसाधन नियम 1945 के जी, एच एंड एल और अन्य खतरों की दवा शामिल नहीं कर सकता है।
 2. आईट्रोस मेडिकल सोसाइटी द्वारा संचालित दवाओं की वैकल्पिक प्रणाली परिषद ने पूरे भारत में वैकल्पिक चिकित्सा और पैरामेडिकल कॉलेज, विज्ञान और तकनीकी संस्थानों, अस्पताल, अनुसंधान केंद्र की स्थापना और संचालन से सम्मानित किया है।
 3. साहित्यिक और वैज्ञानिक ज्ञान के प्रसार के लिए वैकल्पिक चिकित्सा और पैरामेडिकल विज्ञान के अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना।

 कानूनी आधार
 चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणाली के पक्ष में कुछ कानूनी घोषणा और विभिन्न न्यायालय के आदेश
 1. कर्नाटक का माननीय उच्च न्यायालय :
 अपने अंतिम निर्णय में याचिका संख्या १७५३४-९६/९४ और संख्या ३६९६०/९४ में धारा १६(२) १६(२ए) आदि की संवैधानिक वैधता का उल्लेख किया ताकि दवाओं के किसी भी वैकल्पिक प्रणाली के प्रचार और प्रचार के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।  कोई क़ानून
 2. माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय :
 अपने निर्णय दिनांक में कहा गया है।  18/11/1998 सीडब्ल्यूपी संख्या 4015/1996 और कार्यालय ज्ञापन संख्या 8468/1997 जिसमें सरकार को भारत में वैकल्पिक चिकित्सा को नियमित करने और मान्यता देने के लिए उचित कार्रवाई करनी है।
 3. कलकत्ता का माननीय उच्च न्यायालय :
 अपने अंतिम निर्णय में संविधान रिट क्षेत्राधिकार मामला 1988 का 546 डीटी।  ०७/०५/१९९० जो कलकत्ता लॉ जर्नल १९९१ में रिपोर्ट किया गया है (२) सीएलजे पृष्ठ संख्या १७३ से १८७ तक भारत में वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के संवैधानिक अधिकारों और कानूनी वैधता के बारे में निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदु हैं।
 4. भारत का माननीय सर्वोच्च न्यायालय :
 चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणाली पर एक मामले के अपने अंतिम निर्णय में कहा गया है कि "माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का सरकार द्वारा सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।  भारत के आठ सप्ताह के भीतर ”दवाओं की वैकल्पिक प्रणाली को नियमित करने के लिए।
 भारत संघ और दिल्ली सरकार।  दिल्ली उच्च न्यायालय सीडब्ल्यूपी संख्या 4015/1996 दिनांक 18/11/1998 द्वारा एफएक्यू 205/92 में निर्णय और आदेश के खिलाफ एक एसएलपी (सिविल) संख्या 11262/2000 द्वारा दायर।  सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया और दिल्ली सरकार की एसएलपी खारिज कर दी है।  दिनांक 24/11/2000।
 5. 05-05-2010 इलेक्ट्रो होम्योपैथी संख्या 25011/276/2009-एचआर दिनांक 5 वीं के तहत शासित है
 6. 02-05-2008 सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रथा को मान्यता दी।  महाराष्ट्र निदेशालय स्वास्थ्य।  मई 2010
 7. 23-04-2008 विजयनगरम एडी जूडी कोर्ट मजिस्ट्रेट ने बीईएमएस अभ्यास को मान्यता दी और इसे व्यवस्थित कानून के साथ रखा।
 8. 22-12-2006 माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट ने इलेक्ट्रो होम्योपैथी प्रैक्टिस को मान्यता दी।
 9. 10-01-2005 मेट्रोपॉलिटन सेशन कोर्ट, सेक-बैड मान्यता प्राप्त एमडी (ईएच) प्रैक्टिस और इलेक्ट्रो होम्योपैथी बोर्ड भी।
 10. 25-11-2003 केंद्र सरकार।  भारत सरकार, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग ने इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता दी।
 11. 14-02-2003 भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय और भारतीय चिकित्सा परिषद ने घोषणा की है कि, जिनके पास सामुदायिक चिकित्सा सेवा और ग्रामीण चिकित्सा व्यवसायी (आरएमपी) का ईडी प्रमाणपत्र (सीएमएस) है, वे 42 दवा समूहों पर अभ्यास कर सकते हैं।  एलोपैथी में जीवन रक्षक औषधियों की
 १२. १६-०५-२००१ माननीय मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायालय सेक-बैड ने इलेक्ट्रो होम्योपैथी अभ्यास को मान्यता दी।  अदालत ने यह भी आदेश दिया कि "भारत में किसी भी चिकित्सा परिषद, केंद्र को अभ्यास में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
 13. 23-10-2000 XI मेट्रोपॉलिटन कोर्ट, सेक्टर-बैड ने इलेक्ट्रो होम्योपैथी और संबंधित मेडिकल कॉलेज के अभ्यास को भी मान्यता दी।
 14. सरकार द्वारा जारी आदेश।  भारत सरकार (एच एंड एफडब्ल्यू मंत्रालय) स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग नं।  वी.25011/276/2009-एचआर दिनांक.05.05.2010 और सी.30011/22/2010-एचआर दिनांक 21.06.2011।
 15. परिषद द्वारा नामांकित पंजीकृत चिकित्सा चिकित्सकों को बिना किसी प्रतिबंध के योग्य चिकित्सकों के रूप में अभ्यास करने का अधिकार देना, और उन्हें किसी भी कानून द्वारा आवश्यक किसी अन्य प्रमाण पत्र जैसे बीमारी, फिटनेस आदि जैसे चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार देना।  शिक्षण और शैक्षणिक संस्थानों या कॉलेजों आदि की परीक्षाओं को नियंत्रित करने के लिए संकाय की स्थापना करना;  और डिग्री, डिप्लोमा, प्रमाण पत्र आदि प्रदान करना।
 सच तो यह है कि तमिलनाडु समेत कई राज्यों ने क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट लागू किया है।  2010. केंद्र सरकार के आदेश को सभी राज्य सम्मान और उम्र दे रहे हैं।  इलेक्ट्रो होम्योपैथी की शिक्षा और अभ्यास के संबंध में दिनांक 14/02/2011।  स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय सरकार के सुझाव और आपसी परामर्श पर।  भारत की।  भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी 22/01/2015 को आदेश पारित किया है कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी की चिकित्सा पद्धति पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
 स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय सरकार।  भारत सरकार ने 14/02/2011 को पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी नैदानिक ​​स्थापना (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम के तहत लागू नहीं है।  2010 इसके चिकित्सकों के क्लीनिक में पंजीकरण के लिए लेकिन केंद्र सरकार के अनुसार कोई इलेक्ट्रो होम्योपैथी का अभ्यास या शिक्षा प्रदान नहीं कर रहा है।  आदेश वी.25011/276/2009-एचआर दिनांक 05/05/2010।
 मद्रास उच्च न्यायालय ने भी 28/11/2016 को एक आदेश पारित किया है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय सरकार के अनुसार।  भारत के आदेश संख्या V.25011/276/2009-HR दिनांक 05/05/2010।  याचिकाकर्ता भारत के हर राज्य में बिना किसी बाधा के इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा का सही तरीके से अभ्यास कर सकता है।  इसलिए, तमिलनाडु जिले के स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों या स्वास्थ्य के संयुक्त निदेशक से अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।  सरकार ने पहले ही इस आदेश को स्वीकार कर लिया है क्योंकि राज्य सरकार द्वारा इस आदेश को चुनौती नहीं दी गई है।  भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय में।  इसलिए, राज्य सरकार।  सम्मान भी देना चाहिए।
 राजस्थान सरकार द्वारा इलेक्ट्रो होम्योपैथी कानूनी और वैज्ञानिक विश्लेषण समिति की स्थापना।  वनस्पतिशास्त्री, औषधविज्ञानी, नैदानिक ​​अनुसंधान, इलेक्ट्रो होम्योपैथी विशेषज्ञ, अन्य चिकित्सा प्रणाली के विशेषज्ञ शामिल हैं।  राजस्थान सरकार के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित वरिष्ठ वैज्ञानिक-17, सीएमओ-40, विधि विशेषज्ञ-5 एवं अन्य विशेषज्ञ।-16।  प्राप्त साक्ष्यों और दस्तावेजों के आधार पर समिति का स्पष्ट निर्णय है कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी एक सरल, किफायती, सुलभ और सुरक्षित चिकित्सीय दृष्टिकोण है, इसे राज्य में मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।  इलेक्ट्रो होम्योपैथी की उपयोगिता और गुणों को ध्यान में रखते हुए, समिति अपने दृढ़ विश्वास को व्यक्त करती है और राज्य सरकार को राज्य में इलेक्ट्रो होम्योपैथी को उचित मान्यता प्रदान करने के लिए आवश्यक कानून का मसौदा तैयार करने और वैधानिक प्रशासनिक प्रक्रिया शुरू करने की जोरदार सिफारिश करती है।  अंततः 09/03/2018 को राजस्थान सरकार की विधानसभा।  2018 के इलेक्ट्रो होम्योपैथी सिस्टम ऑफ मेडिसिन बिल नंबर 13 को राजस्थान राज्य में सिस्टम को मान्यता देते हुए पारित किया है।  माननीय सरकार।  राजस्थान राज्य ने पहले ही 10 अक्टूबर, 2018 को विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसलिए, इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली राजस्थान जैसे राज्य में एक मान्यता प्राप्त प्रणाली है।

 इलेक्ट्रोहोमियोपैथी की शिक्षा और अभ्यास देश में बिना सरकार के जारी है।  मान्यता
 भले ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बार-बार स्पष्ट किया है कि इलेक्ट्रोपैथी को चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है, देश में 2 लाख से अधिक इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सक इस प्रणाली का हिस्सा हैं और देश भर में 150 से अधिक कॉलेज इलेक्ट्रोपैथी में पाठ्यक्रम चला रहे हैं।  सीखा है।  इलेक्ट्रोपैथी होम्योपैथी का व्युत्पन्न है जो गैर-जहरीले पौधों से उपचार पर निर्भर करता है।  देश भर में 150 से अधिक कॉलेज इलेक्ट्रोपैथी में पाठ्यक्रम पेश कर रहे हैं, जिनमें सबसे व्यापक रूप से बैचलर ऑफ इलेक्ट्रोपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी (बीईएमएस) है, जिसकी अवधि साढ़े चार साल है।
 केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में स्वास्थ्य वकालत समूह चिकित्सासंसार ट्रस्ट द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन के जवाब में स्पष्ट किया है कि इलेक्ट्रोपैथी को चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता नहीं दी गई है क्योंकि मंत्रालय किसी भी व्यक्ति द्वारा इसके नैदानिक ​​अभ्यास का समर्थन नहीं करता है क्योंकि संबंधित विधेयक अभी भी विचाराधीन है।  भारतीय संसद के.
 7 अप्रैल 2014 को दायर अपने आरटीआई आवेदन में, चिकित्सासंसार ट्रस्ट ने विरोध किया है कि किसी भी सरकारी विनियमन के अभाव में देश भर में व्यापक रूप से नीमहकीमी हुई है।
 इलेक्ट्रो होम्योपैथी की मान्यता के मुद्दे पर लड़ते हुए, जो विभिन्न उच्च न्यायालयों के सामने आया है, इसके चिकित्सकों का कहना है कि किसी भी कानून ने इसके अभ्यास पर प्रतिबंध नहीं लगाया है और वे संविधान द्वारा गारंटीकृत पेशे में संलग्न होने के हकदार हैं।  इलेक्ट्रो होम्योपैथिक चिकित्सकों के अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत अच्छी तरह से संरक्षित हैं।
 लेस में कोई अधिनियम नहीं होने के कारण 2 लाख से अधिक इलेक्ट्रोपैथ अनियमित तरीके से काम कर रहे हैं।  ऐसे में यह किसी भी केंद्र या राज्य सरकार के चिकित्सा अधिनियम के दायरे में नहीं आता है।  इससे मरीज की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है क्योंकि देश के कई गांवों में नीम हकीम इसका अभ्यास कर रहे हैं।  इस प्रणाली की मान्यता 2005 से एक विधेयक के रूप में संसद में विचाराधीन है।"  एक अधिसूचना 14015/25/96-यू एंड एच (आर) (पीटी) के अनुसार, इलेक्ट्रो होम्योपैथिक चिकित्सक को अभ्यास करने की अनुमति नहीं है, लेकिन पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में 2008 में दायर एक रिट याचिका के माध्यम से अधिसूचना को चुनौती दी गई थी और फैसला था कि  इलेक्ट्रोपैथी/इलेक्ट्रो होम्योपैथी का अभ्यास भारत के किसी भी राज्य में प्रतिबंधित नहीं है।
 आधुनिक चिकित्सा या किसी अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धति जैसे आयुर्वेद/यूनानी चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने के लिए चिकित्सा परिषद अधिनियम के तहत पंजीकरण आवश्यक है।  इन पंजीकरणों को प्राप्त करने के लिए, आवेदकों के पास निर्धारित योग्यताएं भी होनी चाहिए।  लेकिन इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा की एक पूरी तरह से अलग प्रणाली है।  इसका अभ्यास भारत में किसी भी राज्य द्वारा नियंत्रित नहीं है।  यह किसी कानून द्वारा भी निषिद्ध नहीं है।  इसलिए, याचिकाकर्ताओं को इलेक्ट्रो होम्योपैथी के अभ्यास के साथ आगे बढ़ने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद (19) (1) (जी) के तहत एक मौलिक अधिकार है।  डॉक्टर भारत सरकार के स्थापित कानून द्वारा इलेक्ट्रो होम्योपैथी का अभ्यास कर सकते हैं, जिसका अर्थ है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय और भारतीय चिकित्सा परिषद ने 14 फरवरी, 2003 को घोषित किया है कि जिनके पास सामुदायिक चिकित्सा सेवा प्रमाणपत्र (सीएमएस) या ग्रामीण चिकित्सा व्यवसायी हैं (  आरएमपी) एलोपैथ में जीवन रक्षक दवाओं के 42 ड्रग ग्रुप पर प्रैक्टिस कर सकते हैं।  मेट्रोपॉलिटन सेशन कोर्ट सिकंदराबाद ने 16 मई 2001 को इलेक्ट्रो होम्योपैथी प्रैक्टिस को मान्यता दी। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि "भारत में किसी भी काउंसिल को प्रैक्टिस में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।" मेट्रोपॉलिटन कोर्ट, सिकंदराबाद ने 23 अक्टूबर 2000 को इलेक्ट्रो होम्योपैथी के अभ्यास को मान्यता दी।
 कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 7 मई 1999 को इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता दी। जबलपुर उच्च न्यायालय ने 19 मार्च, 1999 को इलेक्ट्रो होम्योपैथी अभ्यास को मान्यता दी। मद्रास उच्च न्यायालय ने 9 जून 1998 को डॉक्टर शब्द का उपयोग करने के संबंध में निर्णय दिया था कि नाम से पहले,  "जो लोग इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का अभ्यास कर रहे हैं, उन्हें "ईएच" (इलेक्ट्रो होम्योपैथिक) के प्रतीक का प्रतिनिधित्व करके नाम से पहले "डॉक्टर" शब्द का उपयोग करने का अधिकार है।

 सर्वोच्च न्यायालय के अन्य निर्णय प्रथम सर्वोच्च न्यायालय के अन्य निर्णय द्वितीय उच्च न्यायालय के निर्णय द्वितीय

       
 शैक्षणिक पाठ्यक्रम प्रवेश परामर्श, मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय में प्रवेश डीईएचएम/बीईएमएस/ एमडी (ईएच) सीएमएस और ईडी १०वीं/१२वीं सभी पाठ्यक्रम यूजीसी और सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं।  भारत के नियमित/दूरी/प्रत्यक्ष प्रवेश
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 काउंसिल ऑफ अल्टरनेटिव सिस्टम ऑफ मेडिसिन एक कानूनी रूप से गठित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त भारत का प्रमुख और अग्रणी शैक्षणिक संगठन है जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1) जी और 21 के दायरे में स्थापित है और सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत है। बिहार में संचालित इलेक्ट्रो होमियोपैथी काउंसिल वर्ल्ड एडुकेशन रिसर्च है  www.werbharat.com help line no 9431461398,9472058415

SUPREME COURT JUDGMENT

No Harassment To Alternative Medical Practitioners, Hon'ble Supreme Court Of India
Latest contents of judgment of Hon'be Supreme court of India SLP (Civil) No. 11262/ 24/11/2000 (In the judgment and order date 18/11/1998 in F.A.Q. No.205/92)
For want of certain clarification etc. Delhi govt. & union of India (ministry of health & family welfare) has filled an appeal (SLP) in the Hon'ble supreme court of india challenging the order of Hon'ble Delhi high court dated 18/11/1998upon hearing on 12/11/2000. The division bench of Hon'ble justice R.C. Lahoti & Hon'ble justice Shivraj V. Patil has rejected the plea of Delhi govt. & union of India and finally on 24/11/2000 the bench of the Hon'ble court comprising justice Rajendra Babu and B.N. Agarwal has directed to entertain the matter and SLP Filled by petitioner (Delhi govt. & union of India ) has been dismissed. The Hon'ble supreme court of India also maintained that status quo of Hon'ble Delhi high court (FAO205/92) dated 18/11/1998 by which it has been ordered that any legally constituted institution imparting education facilities in the field of Alternative medicines may issue diploma / certificate and holder of such diploma / certificate are entitled to practice the particular faculties covered by the said diploma / certificate.
1. According to the judgment of high court Chennai, planning commission report & the latter of govt. (No.110/8/4/77MPT/ME(P)1979&No.4-6/70 MPT of govt. of India) The RMP certificate holder can practice in alternative medicine only he can't practice in surgery , obstetrics & radiation therapy in any form. He can not prescribed any medicine includes G,H&L of drugs & cosmetics rules 1945 and other dangers drug at any cost.
2. Council of Alternative System of Medicines run by Iatros medical society has conferred with the Establish & run alternative medicine & paramedical college's, science and technological institutions , hospital, research center in all over India.
3. To promoting research & development of alternative medicine and paramedical science for diffusal of literary and scientific knowledge.

LEGAL GROUNDS
SOME LEGAL DECLARATION AND VARIOUS COURT'S ORDERS IN FAVOR OF ALTERNATIVE SYSTEM OF MEDICINE
1. THE HON'BLE HIGH COURT OF KARNATAKA :
In its final judgment write petitions no.17534-96/94 and no 36960 /94 noted the constitutional validity of section 16(2) 16(2A) etc in order to develop propagate and promote any alternative system of medicines no permission is required under any statute
2. THE HON'BLE HIGH COURT OF DELHI :
Stated in its Judgment dt. 18/11/1998 of CWP No. 4015/1996 & OM No.8468/ 1997 in which the Government has to take proper action to regularize and recognize the alternative medicine in India.
3. THE HON'BLE HIGH COURT OF CALCUTTA :
In its final judgment constitution writ jurisdiction matter no 546 of 1988 dt. 07/05/1990 which has been reported in Calcutta Law Journal 1991 (2) CLJ page No. 173 to 187 held the following important points regarding the constitutional rights and legal validity of Alternative system of Medicines in India.
4. THE HON'BLE SUPREME COURT OF INDIA :
Stated in its final judgment of a case on alternative system of Medicine that “the judgment of Hon' ble High court of Delhi must be strictly followed by the Govt. of India within Eight weeks” to regularise the alternative system of Medicines .
Union of india and Delhi Govt. fild by a SLP(civil) No. 11262/2000 against the judgement and order by Delhi high court CWP No. 4015/1996 dated 18/11/1998 in FAQ 205/92. The supreme court has dismissed the SLP Of Union of India and delhi Govt. Dated 24/11/2000.
5. 05-05-2010 Electro Homoeopathy is governed vide no.25011/276/2009-HR dated 5th
6. 02-05-2008 Supreme Court recognized the practice. Maharashtra directorate Health. may 2010
7. 23-04-2008 Vijyanagaram Addi Judi Court Magistrate Recognized the BEMS Practice and kept it with in settled law.
8. 22-12-2006 Hon'ble Bombay High court recognized the Electro Homoeopathy Practice.
9. 10-01-2005 Metropolitan session court, Sec-bad Recognized MD (EH) Practice and Electro Homoeopathy Board also.
10. 25-11-2003 Central Govt. of India, Ministry of Health & Family Welfare, and Department of Health Research recognized Electro homoeopathy.
11. 14-02-2003 Hon'ble Supreme court of India and Medical Council of India have declared that, those who are having community Medical Service & ED Certificate (CMS) of Rural medical practitioner (RMP) can do Practice on 42 drug groups of life saving drugs in Allopathy.
12. 16-05-2001 Hon'ble Metropolitan session court Sec-bad Recognized the Electro homoeopathy Practice. The court also ordered that “Any Medical council, centre in India has no right to interfere in the Practice.
13. 23-10-2000 XI Metropolitan court, Sec-bad recognized the Practice of Electro Homoeopathy & relevant medical college also.
14. THE ORDER ISSUED BY GOVT. OF INDIA (MINISTRY OF H&FW) DEPARTMENT OF HEALTH RESEARCH NO. V.25011/276/2009-HR Dated.05.05.2010&C.30011/22/2010-HR Dated 21.06.2011.
15. To give the rights of practicing to registered Medical Practitioners enrolled by the council as qualified physicians, without any restriction, and entitling them to issue medical certificates such as sickness, fitness etc of any other certificate required by any law. To establish the faculty to control the examinations of teaching and educational institutions or colleges etc; and to award degrees, diplomas, Certificates etc., thereof.
It is fact that many states including Tamilnadu have implemented clinical establishment Act. 2010. All states are giving honour and weight age to the order of Central Govt. dated 14/02/2011 with regard to education and practice of Electro Homoeopathy. On the suggestion and mutual consultation of Ministry of Health & Family Welfare Govt. of India. Hon'ble Supreme Court of India has also passed order on 22/01/2015 that there is no ban on medical practice of Electro Homoeopathy.
Ministry of Health & Family Welfare Govt. of India has already clarified on 14/02/2011 that Electro Homoeopathy is not applicable under clinical establishment (Registration & Regulation) Act. 2010 for registration to the clinics of the practitioners of it but there is no practicing electro homoeopathy or imparting education as per central Govt. order V.25011/276/2009-HR Dated 05/05/2010.
Madras High Court has also passed an order on 28/11/2016 that as per Ministry of Health & Family Welfare Govt. of India order No. V.25011/276/2009-HR Dated 05/05/2010. The petitioner can rightfully practice Electro Homoeopathy Medicine in every state in India without hindrance. Hence, there is no need to take permission from local health authorities or joint director of health of the district of Tamilnadu. Government has already accepted this order as this order remains unchallenged by the state Govt. in Hon'ble Supreme court of India. Therefore, the state Govt. should also give honour of it.
Electro Homoeopathy legal and scientific analysis committee setup by Rajasthan Govt. consist of the experts of botanists, pharmacologists, clinical research, electro homoeopathy expert, of other medical system viz. senior scientist-17, CMO-40, legal expert-5 and other expert including vice chancellors of the universities of Rajasthan Govt.-16. On the basis of the evidences and documents received and examined, the committee has a clear judgment that electro homoeopathy is a simple, economical, accessible and secure therapeutic approach, it must be recognized in the state. Taking into consideration the utility and merits of electro homoeopathy, the committee expresses its though conviction and strongly recommends the state Government to draft essential law and initiate the statutory administrative process to grant due recognition to electro homoeopathy in the state. Ultimately on 09/03/2018 the Assembly of Rajasthan Govt. has passed Electro Homoeopathy System of Medicine Bill No. 13 of 2018 recognizing the system in Rajasthan State. Hon'ble Govt. of Rajasthan state has already signed on the Bill on 10th October, 2018. Therefore, Electro Homoeopathy system of medicine is a recognized system in a state like Rajasthan.

Education & Practice Of Electrohomeopathy Continue In The Country Without Govt. Recognition
Even though the Union health ministry has clarified time and again that electropathy is not recognised as a system of medicine, over 2 lakh electropathy practitioners are a part of this system in the country and over 150 colleges across the country are offering courses in electropathy, it is learnt. Electropathy is a derivative of homoeopathy that relies on remedies from non-poisonous plants. Over 150 colleges across the country are offering courses in electropathy, with the most widely pursued one being Bachelor of Electropathy Medicine and Surgery (BEMS), which has course duration of four and a half years.
The Union health ministry has recently clarified in response to an RTI application filed by health advocacy group Chikitsasansar Trust that electropathy is not recognised as a system of medicine because the ministry does not support its clinical practice by any person as the concerned Bill is still under consideration of Indian Parliament.
In its RTI application, filed on April 7/2014, the Chikitsasansar Trust has contested that absence of any government regulation has led to widespread quackery across the country.
While contesting the issue of recognition of electro homoeopathy which has come up before various high courts, its practitioners say that no law has banned its practice and they are entitled to engage in a profession as guaranteed by the Constitution. The right of Electro Homoeopathic Practitioners are well protected under article 19(1)(g) of Constitution of India.
There are over 2 lakh electropaths working in an unregulated manner because there is no Act in lace. As such it does not come under the purview of either of the central or state government's medical Act. This can have a bearing on the patient safety as quacks are practicing it in several villages of the country. The recognition of this system is under consideration in Parliament in the form of a bill since 2005.” According to a notification 14015/25/96-U&H (R) (pt), electro homoeopathic practitioner is not permitted to practice but the notification was challenged through a writ petition filed in 2008 in the Punjab and Haryana High court and the verdict was that practice of Electropathy/Electro homoeopathy is not prohibited in any state of India.
For practicing modern medicine or any other Indian system of medicine like Ayurveda/Unani systems of medicine, registration is required under Medical Council Act. For getting these registrations, the applicants should also possess the prescribed qualifications also. But electro homoeopathy is an entirely different system of medicine. Its practice is not controlled by any state in India. It is not prohibited by any law also. Therefore, the petitioners have a fundamental right under article (19) (1) (g) of the constitution of India to proceed with the practice of the electro homoeopathy. Doctors can practice electro homoeopathy by settled law of the Government of India which means law allowed Supreme Court of India and Medical Council of India have declared on February 14, 2003 that those who are having Community Medical Service Certificate (CMS) or Rural medical practitioner (RMP) can do Practice on 42 drug groups of life saving drugs in Allopath. Metropolitan Session Court Secunderabad recognised the Electro Homoeopathy Practice on 16 May 2001.The court also ordered that “Any council in India has no right to interfere in the Practice." Metropolitan Court, Secunderabad recognised the practice of electro homoeopathy on October 23, 2000.
Calcutta High Court recognised the electro homoeopathy on May 7, 1999. High Court of Jabalpur recognised the electro homoeopathy practice on March 19, 1999. Madras High Court on June 9/1998 had given the Judgment regarding using the word Doctor before the name that, “Those who are practicing electro homoeopathy system of medicine has right to 'USE' the word “DOCTOR” before the name, by representing the symbol of “EH” (electro homoeopathic)

Other supreme court judgement firstOther supreme court judgement SecondHigh court judgement Second

       
Academic course Admision consultancy, Admision in recognized university DEHM/BEMS/ MD(EH) CMS&ED 10th / 12th All courses are recognized by UGC & Govt. of india Regular/Distance/Direct Admission
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